बाल कविता – नन्ही गुड़िया
नन्ही नन्ही गुड़ियां आईचाँद सितारे साथ है लाई।दो चोटियां बनाकर आईदेखकर उसकोसबके चेहरा पर मुस्कुराहट आई।लाल-लाल गालों से मुस्कुरातीदूध जैसे
Read Moreनन्ही नन्ही गुड़ियां आईचाँद सितारे साथ है लाई।दो चोटियां बनाकर आईदेखकर उसकोसबके चेहरा पर मुस्कुराहट आई।लाल-लाल गालों से मुस्कुरातीदूध जैसे
Read Moreशीत बढ़ी भा रही रजाई।मौसम ने अब ली अँगड़ाई।। शी – शी करतीं दादी नानी।नहीं सुहाता शीतल पानी।।दिन में धूप
Read Moreकांप रही थी चींटी रानी।ठंडा मौसम ठंडा पानी।।दिखे नहीं ये सूरज दादा।भूल गए क्या कर के वादा।। कभी ज़रा अंबर
Read Moreबढ़ती ठंड अलाव जलाएँ।तापें आग हर्ष हम पाएँ।। दादी माँ को शीत सताए।ठिठुर – ठिठुर कम्बल में जाए।।गरमी का कुछ
Read Moreदादाजी अब अंगुली पकड़ो,चलो मार्निंग वाक पर। सुबह सबेरे पांच बजे ही, छोड़ दिया बिस्तर मैंने। ब्रश मंजन कर जूते
Read Moreधनिया हरी टमाटर लालसिल पर पिस कर करे कमाल संग प्याज के गरम पकोड़ेमिर्च कर रही खूब धमाल मौसम की
Read Moreमैंने पाली इक बिल्ली रोज सुबह जाती साथ मेरे करती वह भी वॉक उछल कूद करती रस्ते भर कभी इधर
Read Moreछोटा बच्चा मैं बन जाऊं, खूब खेलूं, मौज मनाऊं।। खूब करे हम धमा-चौकडी, दादाजी की छुपाऊं छडी।। चिमटी धीरे से
Read Moreफूलों से मुस्कुराना सीखो, पंछियों से मस्त मगन जीना, तितलियों से ख्वाब बुनना, भंवरों से मधुर गुनगुनाना।। आंखों के तारों
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