दो बाल कविताएँ
कविता 1: दादी की लाठी दादी की वह लाठी। बन गई बढ़िया साथी। कहीं भी जाती दादी। साथ ले जाती
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Read Moreलल्ला जी स्कूल में पहुंचे लिए हाथ में तख्ती एंटर किये क्लास में दिखलाई टीचर ने सख्ती लल्ला जी हो
Read Moreपापा अब मैं हुई बड़ी। ला दो मुझको एक घड़ी। बिलकुल भैया के जैसी। न लूँगी ऐसी वैसी। स्कूल पहन
Read Moreएक मुर्गी के चूज़े चार। मुर्गी करती उनको प्यार। चारों बहुत ही थे नटखट। दिनभर करते थे खटपट। एक दिन
Read More1.ये ले मेरी बर्फी मैं भी खेलूं तू भी खेले आओ मिल कर होली सारी कुट्टी अब्बा कर लें फिर
Read Moreलो गर्मी की छुट्टी लगी। नाना जी की चिठ्ठि मिली। जल्दी से चलदो भाई। मेरा दिल बहलाना भाई। मम्मी ने
Read Moreरंग-गुलाल साथ में लाया। होली का मौसम अब आया। पिचकारी फिर से आई हैं, बच्चों के मन को भाई हैं,
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