रंगों की कहानी
इक खरगोश था चिट्टा राम यार उसका, कौआ कालीराम ॥ खाना पीना और सो जाना सिवा इसके कोई और न
Read Moreइक खरगोश था चिट्टा राम यार उसका, कौआ कालीराम ॥ खाना पीना और सो जाना सिवा इसके कोई और न
Read Moreनदी के किनारे-किनारे सुंदरम गाँव बसा हुआ था। ऊंचे ऊंचे पहाड़ ,बहता हुआ पानी,महकते फूल और हरियाली के बीच खिलखिलाता
Read Moreमई महीना आता है और, जब गर्मी बढ़ जाती है। नानी जी के घर की मुझको, बेहद याद सताती है।।
Read More(बाल काव्य सुमन संग्रह से) माता मेरी सबसे प्यारी, सारे जग से है वह न्यारी, दुनिया में प्यारी मां जैसा,
Read Moreयह कविता 2004 में लिखा था- आज जब इसे पढ़ता हूँ तो बहुत कमियां दिखाती है, लगता है जो कहना
Read Moreशरारती और चटोरा मक्कू चूहा इधर-उधर खाने की तलाश में फिर रहा था। उसे मिर्च-मसालेदार और दूध से बनी चीजें
Read Moreचंचल नटखट भोलू बकरा, निर्भय फिरता-कूदता था, उछल-कूद करता था दिन भर, नहीं किसी से डरता था. एक बार पिकनिक
Read Moreबन्द हुए स्कूल गली में बच्चे खेले खेल। आगे पीछे दौड़ रहे है छुक छुक करती रेल। भरी दुपहरी तपती
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