धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

जीवात्मा के बाहर भीतर व्यापक परमात्मा को जानना मनुष्य का मुख्य कर्तव्य

ओ३म् संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर

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वेद और ऋषियों ने दिया पूरे विश्व को आत्मा के अविनाशी होने व पुनर्जन्म का सिद्धान्त

ओ३म् मनुष्य जीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति कर सत्य व असत्य को जानना, असत्य को छोड़ना, सत्य को स्वीकार

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मीरा बाबा (जेन खां) आज भी बैठे हैं हिन्दू मंदिरों में भगवान् बनकर!

हजारों वर्षों से सनातन को नष्ट करने की परम्परा चली आ रही है. पूरी दुनिया जानती है जब से दो धर्मों

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आर्यसमाज की स्थापना सनातन वैदिक धर्म की रक्षा के लिए की गयी थी

ऋषि दयानन्द इतिहास में सत्य के आग्रही अनुपमेय महापुरुष थे। उन्होंने अपने जीवन में सत्य को छोड़ा नहीं और कभी

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सच्ची स्तुति करने वालों को ईश्वर असंख्य ऐश्वर्य एवं अतुल विज्ञान देता है

ओ३म् ईश्वर ने समस्त चराचर जगत को बनाया है। वही इसका पालन कर रहा है और वही इस ब्रह्माण्ड की

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गाय और मनुष्य का माता और पुत्र-पुत्री का सम्बन्ध

ओ३म् मनुष्य और गाय दोनों चेतन शरीरधारी प्राणी हैं। दोनों ही शाकाहारी भी हैं परन्तु दोनों के भोजन में भिन्नता

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जन्म व पुनर्जन्म का आधार हमारे पूर्व जन्मों व वर्तमान जन्म के शुभाशुभ कर्म

ओ३म् हम प्रतिदिन संसार में नये बच्चों के जन्म के समाचार सुनते रहते हैं। इसी प्रकार पशु व पक्षियों आदि

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