व्यंग्य – मोबाइल के बच्चे !
सुबह हो गई है।मोबाइल जाग गए हैं।रात में जो स्वप्न आ रहे थे,वे सब भाग गए हैं।रसोइयों में बर्तनों की
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Read Moreआरंभ में ही मैं ये बात स्पष्ट कर देना अपना नैतिक कर्तव्य समझता हूँ कि मैं देश का एक सच्चा
Read Moreये उन दिनों की बात है, जब भारत को विभाजित हुए दो-चार बरस ही हुए थे । अधिकांश अंग्रेज़ वापिस
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Read Moreगूगल गुरु से जब ये पूछा गया कि ‘लुटेरा’ शब्द का विलोम क्या है? इस प्रश्न के उत्तर के लिए
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