मंज़र हैं यहां तबाही के
मंज़र हैं यहां तबाही के। फंसी हुई दुनिया कैसे अपने ही पांसों में एक वायरस टहल रहा आदमी की सांसों
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Read Moreभारत की ज्यादातर आबादी आज भी गांवों में बसती है इसलिए भारत में ग्रामीण शिक्षा का विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Read Moreओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी
Read Moreओ३म् मनुष्य को पता नहीं कि उसका इस संसार में जन्म क्यों हुआ है? उसको कोई इस बात का ज्ञान
Read Moreकिस्मत बुलंद कर लो हंसकर जीना दस्तूर है जिंदगी का, एक यह किस्सा मशहूर है जिंदगी का, बीते हुए पल
Read Moreहमारा देश भारत त्योहारों का देश है। तमाम सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता होने के बावजूद सभी सुंदर सुवासित सुमनों की
Read Moreबाहर दीप जलाने से पहले, अंतर्मन में इक दीप जला लें। नेह सुधा-जल से अभिसिंचित कर, बंजर मन में रस,
Read Moreबदसूरत बन रहा लोकतंत्र हमारा, धनबल,जांच, इसको देता सहारा !! चुनकर आते हैं जिसके विरोध में, फिर भी सरकार बनाते
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