साहित्य के संकट
संकट साहित्य पर है बड़ा ही घनघोर धूर्त बना प्रकाशक लेखक बना है चोर भूखे हिंदी के सेवक रचनाएं हैं
Read Moreसंकट साहित्य पर है बड़ा ही घनघोर धूर्त बना प्रकाशक लेखक बना है चोर भूखे हिंदी के सेवक रचनाएं हैं
Read Moreहमने गरीब बन कर जन्म नहीं लिया था हां, अमीरी हमें विरासत में नहीं मिली थी हमारी क्षमताओं को परखने
Read Moreमैं कल भी अकेला था आज भी अकेला हूं और संघर्ष पथ पर हमेशा अकेला ही रहूंगा मैं किसी धर्म
Read Moreअजब हो रही है गज़ब हो रही है देखूँ तुझे तो गज़ल हो रही है
Read Moreमुझे सोने नहीं देती, खुश होने नहीं देती, याद मेरे गाँव की, याद मेरे गाँव की। जिस आँगन में बचपन
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