कविता

साहित्य के संकट

संकट साहित्य पर
है बड़ा ही घनघोर
धूर्त बना प्रकाशक
लेखक बना है चोर

भूखे हिंदी के सेवक
रचनाएं हैं प्यासी
जब से बनी है हिंदी
धनवानों की दासी

नकल चतुराई से
कर रहा कलमकार
हतप्रभ और मौन
है सच्चा सृजनकार

प्रकाशन होता पैसों से
मिलता छद्म सम्मान
लेखक ही होते पाठक
करते मिथ्याभिमान

:- आलोक कौशिक

आलोक कौशिक

नाम- आलोक कौशिक, शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य), पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन, साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में सैकड़ों रचनाएं प्रकाशित, पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101, अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com