ऊषा सुन्दरी
रजनी साथ रहे उडगन। न अब रजनी न अब उडगन।। बीती विभावरी छाई मुस्कान। खग कुल की है मीठी तान।।
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Read Moreराणा ने खाई घास की रोटियाँ, शैया जिनकी कंकड़ पर। अरावली की पहाड़ियाँ भी, राणा संग हो गई अमर।। अकबर
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Read Moreबारिश की बौछार बारिश की बूंदे जब धरती से मिल जाती हैं तवे सी गर्म धरती पर तब सुकून की
Read Moreबॉर्डर पर पहुंचा किसान यह देखकर चौक गया हर इंसान। शक नहीं है उसे किसी भी बात पर लेकर रहेगा
Read Moreजाल बिछाया छलिया अहेरी, कहां समझ पाई मैं नन्ही कनेरी? देकर मुझे अधम ने प्रलोभन, छीन लिया मेरा उन्मुक्त गगन।
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