मनविश्राम छंद “माखन लीला”
माखन श्याम चुरा नित ही, कछु खावत कछु लिपटावै। ग्वाल सखा सह धूम करे, यमुना तट गउन चरावै।। फोड़त माखन
Read Moreमाखन श्याम चुरा नित ही, कछु खावत कछु लिपटावै। ग्वाल सखा सह धूम करे, यमुना तट गउन चरावै।। फोड़त माखन
Read Moreमधुवन महके। शुक पिक चहके।। जन-मन सरसे। मधु रस बरसे।। ब्रज-रज उजली। कलि कलि मचली।। गलि गलि सुर है। गिरधर
Read Moreपुट छंद “रामनवमी” नवम तिथि सुहानी, चैत्र मासा। अवधपति करेंगे, ताप नासा।। सकल गुण निधाना, दुःख हारे। चरण सर नवाएँ,
Read Moreपावन छंद “सावन छटा” सावन जब उमड़े, धरणी हरित है। वारिद बरसत है, उफने सरित है।। चातक नभ तकते, खग
Read Moreपवन छंद “श्याम शरण” श्याम सलोने, हृदय बसत है। दर्श बिना ये, मन तरसत है।। भक्ति नाथ दें, कमल चरण
Read Moreकभी न रूप, रंग को, महत्त्व आप दीजिये। अनित्य ही सदैव ये, विचार आप कीजिये।। समस्त लोग दास हैं, परन्तु
Read Moreस्वार्थ में सनी राजनीति है। वोट नोट से आज प्रीति है। देश खा रहे हैं सभी यहाँ। दौर लूट का
Read Moreअहीर छंद “प्रदूषण” बढ़ा प्रदूषण जोर। इसका कहीं न छोर।। संकट ये अति घोर। मचा चतुर्दिक शोर।। यह दावानल आग।
Read Moreसमान सवैया / सवाई छंद / 32 मात्रिक छंद जाग उठो हे वीर जवानों, तुमने अब तक बहुत सहा है।
Read Moreरास छंद “कृष्णावतार” हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रही थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को,
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