बासुदेव अग्रवाल

कुण्डली/छंदपद्य साहित्य

मनहरण घनाक्षरी (होली के रंग)

मनहरण घनाक्षरी “होली के रंग” होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।

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गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल (हिन्दी हमारी जान है)

ग़ज़ल (हिन्दी हमारी जान है) बह्र:- 2212 2212 हिन्दी हमारी जान है, ये देश की पहचान है। है मात जिसकी

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कवितापद्य साहित्यभजन/भावगीत

अनुष्टुप छंद “गुरु पंचश्लोकी”

अनुष्टुप छंद “गुरु पंचश्लोकी” सद्गुरु-महिमा न्यारी, जग का भेद खोल दे। वाणी है इतनी प्यारी, कानों में रस घोल दे।।

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कविता

समान सवैया “शारदा वंदना”

32 मात्रिक छंद / समान सवैया / सवाई छंद कलुष हृदय में वास बना माँ, श्वेत पद्म सा निर्मल कर

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कविताभजन/भावगीत

समान सवैया “वन्दना”

सवाई छंद/समान सवैया/32 मात्रिक छंद “वन्दना” इतनी ईश दया दिखला कर, सुप्रभात जीवन का ला दो। अंधकारमय जीवन रातें, दूर

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कवितागीतिका/ग़ज़ल

मौक्तिका (बचपन जो खो गया)

मौक्तिका (बचपन जो खो गया) 2*9 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘गया’, समांत ‘ओ’ स्वर) जिम्मेदारी में बढ़ी उम्र की, बचपन वो

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कवितागीतिका/ग़ज़ल

मौक्तिका (चीन की बेटी)

मौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको

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