आखिर उत्तर प्रदेश के हालातोें में कब होगा सुधार
उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाला तथा सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश है। लेकिन आज उत्तर प्रदेश के हालात राजनैतिक, सामाजिक , आर्थिक व विकास की दृष्टि से बेहद खराब होते जा रहे हैं। आज पूरा प्रदेश साम्प्रदायिकता की ज्वालामुखी पर बैठा है। जातीय विद्वेष की भावना गहरा रही है। छोटी – छोटी बातोें पर दंगों के हालात पैदा हो रहे हैं। महिलाओं- युवतियों की असमत कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गयी है। प्रतिदिन समाचार पत्रों में औसतन पांच से दस दुराचार व छेड़छाड़ की घटनाओं के समाचार प्रकाशित हो रहे हैं।जब से सपा की सरकार सत्त्ता में आयी है कहीं न कहीे साम्प्रदायिक तनाव का वातावरण पैदा हो ही जाता है। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश अभी भी अंदर ही अंदर सुलग रहाहै। सभी घटनाओं में प्रशासन का एकपक्षीय रवैया अफसोसजनक है जिसके कारण बहुसंख्यक समाज की भावनायें बार- बार आहत हो रही है।
विगत दिनांे मुरादाबाद के कांठ में एक धार्मिक स्थल (मंदिर ) से लाउडस्पीकर को पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना के तो उतारा ही साथ ही मंदिर की पवित्रता को भी नष्ट किया गया तथा वहां पर उपस्थित महिलाओं की पिटाई की गयी। जैसे ही समाचार फैला तनाव होना लाजिमी था। जिस प्रकार से सपा सरकार केवल मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर एकतरफा कार्रवई कर रही है वह बेहद आपत्तिजनक है। हार की हताशा में डूबी सपा सरकार में हिंदुओ व भाजपा कार्यकर्ताओं तथा नेताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। हर बार की तरह मुरादाबाद की घटना के लिए सभी दलों ने भाजपा को ही तनाव के लिए जिम्मेदार बता दिया। सबसे आश्चर्यजनक राजनैतिक बयानबाजी तो वहां के एसएसपी धर्मवीर ने हालात बिगड़ने कें लिए भाजपा को ही जिम्मेदार बता दिया है। मुरादाबाद में भाजपा नेताओं को घुसने नहीं दिया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता बयानबाजी कर रहे हैं कि भाजपा प्रदेश में साम्प्रादायिक विद्वेष की राजनीति कर रही है। जबकि भाजपा का मानना है कि कांठ- मुरादाबाद की घटना सरकार की गैर जिम्मेदार रवैये अदूरदर्शी व तुष्टीेकरण की नीति का परिणाम है। भाजपा का मत है कि यदि प्रशासन निष्पक्ष रहता तो इतनी बड़ी घटना न होती। प्रदेश सरकार लगातार तुष्टीकरण का खेल खेल रही है। कांठ में एकतरफ जाट समाज के मंदिर से माइक उतरवाकर उनके धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रशासन ने हमला किया वहीं दूसरी तरफ बिना अनुमति के एक मसजिद को बनवाने की छूट दे दी। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चैधरी का भाजपा व आरएसएस विरोधी रेडियो अभी बज रहा है। जबकि लोकसभा चुनावों में प्रदेश की जनता उनको चारों खाने चित्त कर चुकी हैं।
सपा प्रवक्ता का मानना है कि भाजपा व आरएसएस का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है स्वयं समाजवादी पार्टी स्वयं में ही सबसे बड़ी अलोकतांत्रिक, वंशवाद में विश्वास रखने वाली तथा वंशवाद के आधार पर भ्रष्टाचार व अपराधों को बढ़ावा देने वाली पार्टी है। पूरे प्रदेश में सपा कार्यकर्ताओं का गुंडाराज स्थापित हो चुका है । सपा मुखिया मूुलायम सिंह यादव चाहे जितना जोर लगा लें अब सपा की स्थिति प्रदेश में सुधरने वाली नहीं हैं।
जिस प्रकार से सपा सरकार का प्रशासन व पुलिस का तालिबानीकरण हो रहा है वह प्रदेश की आगामी सामाजिक समरसता के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। अभी मेरठ में मात्र सौ रूपये के लेनदेन को लेकर तनाव पैदा हो गया था। वहां तो भाजपा नहीं थी। अतः पहले सपा नेताओं को अपने आचरण नीति व नियत पर ध्यान देना चाहिये। अगर सपा का यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सपा- बसपा जैसे राजनैतिक दल इतिहास के पन्ने बन जायेंगे। दूसरी तरफ अपराधियों के हौसले इतने अधिक बढ़ गये हैं कि वे अब पुलिसबलों पर सीधे हमला कर रहे हैं। अंबेडकरनगर में पशु तस्करों को पकड़ने के लिए घेराबंदी करने वाले एसओ समेत पुलिस टीम को ट्रकों से रोंदने का प्रयास किया। तस्करों के ट्रक की टक्कर से पुुलिस जीप पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी।हालांकि सौभाग्यवश पुलिस के जवान पूरी तरह से सुरक्षित रह गये। रात्रि गश्त कर रहे थानाध्यक्ष सुरेश पटेल जब जीप से उतरकर खडे़ ही हुए थे तब सामने से तेज गति से आ रहे ट्रक कों रोकने के लिए उन्होनें चालकों को इशारा किया तो उन्होनेे पुलिस जीप को जोरदार टक्क्र मार दी। इस अचानक हमले में जीप तो क्षतिग्रस्त हो गयी लेकिन अन्य पुलिसकर्मी बाल- बाल बच गये। वहीे प्रदेश में बिजली का बुराहाल है लेकिन अपनी प्रशासनिक अक्षमता को नकारते हुए बिजली की कमी का सारा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रहे हैं।
जबकि वास्तविकता यह है कि प्रदेश में आज हर साल कम से कम सात हजार करोड़ रूपये की बिजली चोरी हो रही है। बिजली विभाग में अराजकता को बोलबाला है। विगत दस वर्षो से समाजवादी पार्टी केंद्र में यूपीए सरकार को सहयोग दे रही थीं तब उसने राज्य में बिजली सुधार कड़ाई के साथ क्यों नहीं लागू किया। आज प्रदेश मेें विकास की गंगा बहाने के नाम पर धन की बर्बादी हो रही है। जो सपा सरकार यह दावा करती नहीं थक रही थी कि उसके शासनकाल में कुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिए अपनी पीठ थपथपा रही थी कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में उसकी पोल भी खोल दी है। कैंग की रिपोर्ट से पता चल रहा है कि कुंभ मेले का आयोजन केवल गंगा मैया की कृपा से ही निपटा है। इस रिपोर्ट में जिन बातों का उल्लेख हैं उससे सपा सरकार के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कैग की रिपोर्ट में बसपा सराकर में हुए स्मारक घोटाले का जिन्न भी बाहर आ गया है। कैग की रिर्पाेटों से सपा व बसपा दोनों ही बैकफुट पर आ गयी हैं तथा भाजपा प्रदेश में मेादी लहर कोबनाये रखने के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन कर रही है।
अच्छा लेख. इस निकम्मी और मजहब-परस्त सरकार के रहते हुए मुझे तो उत्तर प्रदेश के हालात में किसी सुधार की कोई आशा नहीं है. इसको हटाकर किसी कर्मठ मुख्यमंत्री की सरकार बने तो सुधार की आशा की जा सकती है.