कविता

–जीवन पल का संगीत–

बेहद रोचक है ये संगीत,

जीवन के हर पल में है संगीत।

बचपन की किलकारियों में है संगीत,
यौवन का धड़कन में है संगीत,
अधरों के थरथराहट में है संगीत,
फड़कती बाजुओं में है संगीत,
पलक झपकने का है संगीत,
आने की आहट में है संगीत,
मिलन में जीवन का है संगीत,
बढ़ते कदमों में है संगीत,
रिम झिम बारिश का है संगीत,
हवा के झोंकों का है संगीत,
ताड़ के पत्तों का है संगीत,
सागर की लहरों का है संगीत,
शांत नदियों से उठता है संगीत,
‘‘मौन’’ डूब गया हूॅ सुनते हुए हर पल संगीत।

वीना के तारों में है संगीत,
आती जाती सांसों में है संगीत।

— मनोज ‘मौन’

 

3 thoughts on “–जीवन पल का संगीत–

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता, मौन जी.

  • मनोज भाई , बहुत अच्छी कविता है , धन्यवाद .

  • मनोज कुमार 'मौन'

    वीना के तारों में है संगीत,
    आती जाती सांसों में है संगीत।

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