कविता

कविता के जीवन में

कविता के जीवन में

मै ..

जब से आया

अनावृत आकाश सा….. हो

मन लौट आया

 

मौन के कम्पित जल तरंगो सी

तुम्हारी सिरहनों से –

रोमांचित ओस बूंदों में भी

समाये …

प्रणय के जीवंत क्षणों का

अर्थ समझ पाया

आदिम धडकनों में समाहित

निर्वाण के गान

भूल……

क्षितिज के उस पार …

प्रकृति के मादक – राग

में

बसंत सा गा फाग

अमराई सा गमक –

प्रेम उन्माद

में

मिटा दुःख की रेखाए

मस्तक से

आनंद के रंग सा घुल

जीवन ताल

में

मनुज ..

माया को कैसे छल पाया

मर्म समझ पाया

 

कविता के जीवन में

मै ..

जब से आया

अनावृत आकाश …

सा …हो

मन लौट आया

*किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “कविता के जीवन में

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता, किशोर जी.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता .

Comments are closed.