*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “एक क्षणिका

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिका. विचारणीय !

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      शुभ प्रभात
      बहुत बहुत धन्यवाद

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