कविता : डायरी के पन्ने
मिलेगी तुम्हे जब बधाई
अच्छी कविता पर
देख लेना
डायरी के वो पन्नें
जिस पर तुमने गढ़ी वो कविता ।
याद करना
कितनी बार की थी तुमने कांट-छांट
शब्दों का हेर-फेर !
शायद ! तुम्हारे सिवाय
कोई पढ़ भी न पाये
उस पन्नें पर लिखे शब्द ।
याद रखना
कविता गढ़ने का यह कारवां
जारी रखना ।
जब तक
समरस समाज न बन जाये
यही डायरी की आखिरी ख्वाहिश है !!
बढ़िया कविता.
good.