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क्या ऐसे  होगा महिला सशक्तिकरण…

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इस चित्र में आप जिसकी फोटो देख रहे हो वो कोई सामान्य अपराधी नही अपितु डेल्ही में इन्दर लोक रेप  काण्ड का मुख्य अभियुक्त है.

रेप  और छेड़छाड़ की घटनाएं आम बात हो गयी ह. और यह घटना तो राजधानी दिल्ली की है. यह सब देखकर  बस एक हे बात कहने का मन करता है कि-

“रावण ने तो किआ था एक नारी का हरण 

लकिन वो नारी फिर भी सुरक्षित थी

आज तो बिना हरण के भी

रोज़ हो रहा ह चीर हरण

उसकी अस्मिता का

उसकी जिंदगी  का

उसके मौलिक अधिकारों का

और सबसे ज्यादा

पुरुष समाज के चरित्र का

फिर भी हम मना रहे हैं

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण”

धिक्कार ह धिक्कार… अरे अपराधियो अपनी माँ बहनो को भी इसी दृष्टि से देखते हो या रहम कहते हो..

बहुत हो चुका. जब कानून कुछ नही कर सकता तो समाज को खुद ही सिस्टम को सुधरने का प्रयत्न करना होगा. मेरी दृष्टि में अपराध सिर्फ एक शर्त  पे ख़त्म हो सकते हैं कि अपराधियों को पनाह देने वाले यानि अपराधी के माँ बाप भाई बहिन या अन्य रिश्तेदार जो उसको पनाह देते हैं , वो अपराधी के विरूद्ध खड़े हो जाएँ. क्युकी जितना दोष अपराधी का है उस से अधिक उसको पनाह देने वाले का है.

अब आवश्यकता यह है की या तो  कानून इस  बात को सख्ती से ले  ले पनाह देने वालो  पे भी वही धरा लगे तो अपराधी पे लगती है. अच्छे अच्छे सुधर जायेंगे… नही तो वो दिन दूर नही जब जनता जनार्दन वो काम करेगी जो कानून नही कर सका…

 

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- mk123mk1234@gmail.com

3 thoughts on “क्या ऐसे  होगा महिला सशक्तिकरण…

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सही लिखा है आपने. मैं आपके सुझाव से पूरी तरह सहमत हूँ. अगर परिवार और मोहल्ले के लोग अपराधियों के खिलाफ खड़े हो जाएँ तो अपराध समाप्त हो जायेंगे.

    • महेश कुमार माटा

      धन्यवाद बंधू… काश सच में ऐसा हो पाता…!!! 

      • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

        महेश जी , अब तो अपराध की इन्तहा हो गई . भारत में ऐसा नहीं है कि लोग मदद नहीं कर सकते . यह सिर्फ इस लिए है कि पोलिस की खामखाह हारास्मैंत से डरते हैं जो उन लोगों को पोलिस स्टेशन के चक्कर लगवाती है . इस लिए लोग गवाह बन्ने के लिए भी तैयार नहीं होते . यहाँ इंग्लैण्ड में गवाह को जब कोर्ट में जाना होता है तो पहले उस को पूछते हैं कि उन का उस रोज़ का कितना नुक्सान हुआ है , तब उसे उसी वक्त उस को चैक काट कर दे दिया जाता है . इस लिए गवाह डरते नहीं बल्कि जब कोई ऐसी बुरी बात हो जाए तो लोग खुदबखुद आ कर कहते हैं कि मेरी गवाही ले लो . भारत में भी ऐसा कानून बन जाना चाहिए जिस से लोग हर वक्त मदद करने के लिए तैयार हो जाएँ तो बहुत सुधार आ सकता है .

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