‘नववर्ष का नवगान’
नववर्ष अभिनन्दन ,मंगलकामनाएं इस गीत के माध्यम से ………।
स्वागत ,अभिनन्दन नववर्ष
नवहर्ष, नवोत्कर्ष
नववर्ष का स्वर्णिम विहान ,नव इतिहास रच जाये
खुशियों की सरसों लहलहाए ,बुराइयों का तिमिर ढल जाये
हर दिल हो भाव भरा
नव गान से गूंजे धरा
सुख ,समृद्धि की पदचाप हो
नव भोर का आग़ाज हो
सपना सच हो हर आँख का ,व्यक्ति के विकास का
अभ्युदय हो नए देश , नए समाज का
अपराधी मन बने वीतरागी
बने समाज हित सहभागी
ज़ुल्मों -सितम का न हो नामों निशान
सच हो स्वस्थ राष्ट्र की संकल्पना
न दोहराई जाएं विगत विभीषिकाएं ,त्रासदियाँ
महिलाओं का हो सम्मान, संस्कारों का द्वारचार
मस्ज़िदों में नित अज़ान हो ,
मंदिरों में गूंजे प्रार्थना
उल्लास के तोरण सजें
उर प्रेम ,मंगल घट बसें
शुभसंकल्पों की हो स्थापना , नववर्ष में हो ऐसा एक जहाँ ,
नव वर्ष ,सर्वत्र नव उत्कर्ष, ‘महान भारतवर्ष ‘से पुनः गुंजित हो नव अर्श
अनुपमा श्रीवास्तव ‘अनुश्री’
बहुत सुन्दर है जी .