गीतिका/ग़ज़ल

तुम अदीम हो..

तुम अदीम हो फिर भी मेरे लिए प्रिय आश्ना हो

क्या कहूँगा मैं उस  खुदा  से जब तुम्हें मांगना हो
मैंने  तसव्वुर में  तेरी सुन्दर तस्वीर बनायी है
चेहरा उससे मिले चाहूंगा  तेरी यही  कामना  हो
कांच के  टुकड़ों सी आपस में सारी यादें जुड़ जाएं
अंतिम साँस लूँ  तब प्रगट तुम जैसा आईना हो
तेरी इबादत करता हूँ इस बात से  खुदा  वाक़िफ़  है
तेरी बंदगी में मेरा सर झुके जब तुझसे  सामना  हो
तुम पावन बहती गंगा हो और मैं उसका किनारा  हूँ
निष्पाप रहे सदा मेरा मन मुझमें न कोई वासना  हो
कभी तुमसे मुलाकात हो मेरी यह  मुमकिन नहीं है
दीदार करता हूँ हरदम तेरा पर तुम तो मृगतृष्णा  हो
किशोर कुमार  खोरेन्द्र 
(अदीम =अप्राप्य , आश्ना =मित्र )

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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