कविता

इन्कलाब की आँधी हूं

मै इन्कलाब की आँधी हूं

मै विचलित होती नहीं हूं

चाय वार्ता से चलते हुए

भारत से ही अमेरिका को बुलाती हूं

मै इन्कलाब की आँधी हूं

चट्टानों से टकराती हूं

आसमान छू आती हूं

सागर के अन्तस्थल तक 

हलचल नित मचाती हूं

मै इन्कलाब की आँधी हूं

—मौन

One thought on “इन्कलाब की आँधी हूं

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह !! सही कहा आपने. मोदी जी का शासन किसी इन्कलाब से कम नहीं है.

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