कहानी

वह भिखारी

” बाबू जी … बाबू जी .. दस पांच रूपये दे दीजिये , बहुत भूंख लगी है बच्चे को मेरे दूध लाना है ” जैसे ही चन्दन ने अपनी गाडी एक शानदार बिल्डिंग के सामने रोक के दरवाजा खोलना चाहा तभी उसके सामने एक गन्दा सा और मैले कपडे पहना व्यक्ति आते हुए बोला।
उस गंदे से आदमी ने दोनों हाथ जोड़ के लगभग रोते हुए आवाज में कहना जारी रखा ” बाबू जी पांच दस रूपये की मदद कर दीजिये , भगवान् आपका भला करेगा ”
“ओफ़्फ़… तुम लोग कंही पीछा नहीं छोड़ते “- चन्दन ने झुंझलाते हुए कहा
“बाबू जी , मैं भिखारी नहीं हूँ …. बाबू जी , मैं मजदूरी करता हूँ , कई दिनों से तबियत खराब होने के कारण काम पर नहीं जा पा रहा हूँ । इसलिए मजदूरी नहीं मिल रही है , घर में कई दिनों से खाने को भी नहीं है , मेरा एक छोटा बच्चा है ,उसके लिए दूध लाना है ..वंहा पीछे रोड के किनारे तिरपाल डाल के रहते है …. दया करो बाबू जी – उस गंदे से दिखने वाले मजदुर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा

“खूब नौटंकी जानता हूँ तुम सबकी , ऐसे ही लोगो को उल्लू बना के रूपये ऐठ लेते हो और शाम को दारु पीते हो …. अब चल भाग यंहा से – चन्दन ने गुस्से में झिड़कते हुए उस आदमी से कहा
” नहीं साहब , मैं दारु नहीं पीता , साहब मेरी बात का विश्वास करो … साहब” उस व्यक्ति ने चन्दन का हाथ पकड़ते हुए कहा।
उस व्यक्ति का हाथ पकड़ना था की चन्दन को गुस्सा आ गया उसने एक जोरदार तमाचा उस व्यक्ति के गाल पर मारते हुए गलियां देता हुआ बोला” एक बार समझ नहीं आती क्या तुझे …. साले नौटंकी बाज , तुम लोगो का पेशा ही यही है ”
चांटा जोरदार था वह आदमी लड़खड़ा के एक तरफ गिर गया , उसके होठो से एक हलकी खून की लकीर बहार आ गई।
चन्दन और गलियां बकता हुआ तेजी से बिल्डिंग के गेट के अंदर हो गया ।
वह लिफ्ट से होके 7 वीं मंजिल पर पंहुचा , सामने एक ऑफिस था , चमकते अक्षरो में लिखा था ” पंडित चक्रास्वामी – ज्योतिषाचार्य”
वह तेजी से ऑफिस में घुस गया , रिशेप्शन पर अपना परिचय देने के बाद वह चक्रास्वामी के ऑफिस में प्रवेश करता है ।
सामने बड़ी सी तोंद लिए चक्रास्वामी जी बैठे थे हाथो से लेके गले तक सोने और तरह तरह की मालाओ से सजे हुए । चन्दन ने झुक के उनके चरण छुये , एक तरफ बैठने का इशारा पा के बैठ गया ।
“हाँ तो बालक! दिखाओ मुझे अपनी जन्मपत्री” – चक्रास्वामी ने चन्दन से कहा
चन्दन ने झट से जेब से अपनी जन्मपत्री निकाल के चक्रास्वामी के हाथ में दे दी , चक्रास्वामी ने बड़े गौर से जन्मपत्री का निरीक्षण किया और बोला ” घोर संकट है तुम्हारे ऊपर , राहू तुम्हारे विवाह संजोग को बनने नहीं दे रहा है ”
” स्वामी जी कोई उपाय कीजिये , 35 साल उम्र हो गई है अब विवाह नहीं हुआ तो कब होगा” चन्दन ने दुखी मन से कहा
” उपाय है… अवश्य उपाय है .. हम किसलिए हैं”- चक्रास्वामी ने जोर से कहा
पर उसके लिए खर्चा करना पड़ेगा, पूजा पाठ हवन आदि करना पड़ेगा तभी राहु शांत होगा ” – चक्रास्वामी ने चन्दनं की जन्मपत्री एक तरफ रखते हुए कहा
” मैं सब करवाने को तैयार हूँ , कितना खर्चा आएगा? बस काम होना चाहिए – चन्दन ने पूछा
” मात्र 11 हजार का , पांच हजार अभी जमा करवाने होंगे और बाकी के जब पूजा करवाओगे तब ” चक्रास्वामी ने उत्तर दिया ।
चन्दन ने जेब से हजार हजार के पांच नोट निकाल के स्वामी को देना चाहा पर स्वामी ने उससे रिशेप्शन पर जमा करवाने को कहा ।
चन्दन स्वामी के कमरे से निकल के रिसेप्शन पर रूपये जमा करवाने चल दिया ।

-केशव

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

2 thoughts on “वह भिखारी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    यह अन्धविश्वासी लोग और उन को लूटने वाले बड़े मगरमच्छ , यह सब इंडिया से कभी नहीं जाएगा. जैसे बचपन में पोलियो के ड्रॉप दिए जाते हैं , इसी तरह बच्चा पैदा होते समय अंधविश्वास के इंजेक्शन लगाए जाते हैं . हैरानी तब होती है जब पड़े लिखे भी अन्प्ड़ो के आगे माथा टेकते हैं .

  • विजय कुमार सिंघल

    लोगों की मूर्खता को प्रदर्शित करती बेहतर कहानी !

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