बाल कविता

बालकविता : काले मेघा-काले मेघा

काले मेघा-काले मेघा,

इतना ऊपर क्यों छाया है।

राज हमें ये पता चल गया,

बारिश का मौसम तू लाया है।

छोटे छोटे बच्चे जब,

बारिश में उछल कूद करते हैं।

देख उनकी ये अठखेलियाँ,

सभी प्रसन्न  होते हैं।

बारिश की बूदों ने,

बच्चों के कोमल मन को

भिगो दिया  पूरा-पूरा।

मन में आए नए विचार,

सच होगा हर सपना अधूरा।

काले मेघा काले मेघा।

इतना ऊपर क्यों छाया है॥

विकाश सक्सेना

One thought on “बालकविता : काले मेघा-काले मेघा

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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