क्षणिका

क्षणिकायें…

क्षणिकायें…

1-मुझे छेड़ो
मैं साज हूँ
सुनो एकांत में
मैं तुम्हारे ही
दिल की आवाज हूँ

 

2-मन रोज लिखता है अपनी आत्म कथा
लिख लिख कर
मिटाना चाहता हैं अपनी कहानी से वह
अपना दर्द अपनी व्यथा

 

3- बंदगी

एक दूसरे की कविताओं को

पढ़ते हुऐ

बीत रही है जिंदगी

तुम कहती हो इसे

सिलसिला ए मुहब्बत

मैं कहता हूँ इसे

तेरी बंदगी

 

4- नज़र

तेरी मुस्कराहट को देखूं

या

तेरे गेसूओं को

तेरी नशीली आँखों से

नजर हटती ही नहीं है

 

5- खुश्बू…

मन ने
पहले की तेरी आरजू
फिर शुरू हुई तेरी जुस्तजू

तू कही न कही
इस जहाँ में है जरूर
तभी तो
मेरे आसपास है तेरी खुश्बू

 

6- सपना…

किसे कहूँ मैं अपना

लोग ही कह देते हैं

यह जीवन है एक सपना

 

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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