कवितापद्य साहित्य

वही होता है जो निर्णायक चाहता है

कुटिल काल-कर्कट ने

कुतर कुतर काटकर

हाड़-माँस के इस ढाँचे को

बनाया खोखला काया को l

एक खंडहर

जर्जर घर,प्रकाम्पित थर-थर

गिरने को आतुर

बे-घर कर आत्मा को l

जीवन के दिन, कम हुए प्रतिदिन

शनै: शनै: सब छुट्ता गया ,

फिर आया वो दिन

जीवन का शेष दिन

जब आत्मा ने भी

शरीर को छोड़ दिया l

कैसी है देव लीला

प्राणी की इह लीला

समझ न पाये नर

क्या है रहस्य इसका l

धरती से आसमान तक

उससे भी परे अन्तरिक्ष तक

खोजा है सब जगह

पता नहीं लगा पाया रब का l

समझ में कुछ आता है

वक्त ही सृजक है

वक्त ही संहारक है

जीवन और मृत्यु का

वही निर्णायक है  l

कितना भी जतन करो

दुआ और दवा करो

होता ठीक वही है

निर्णायक जो चाहता है l

 

कालीपद “प्रसाद”

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !

One thought on “वही होता है जो निर्णायक चाहता है

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

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