मुक्तक/दोहा

नन्हा पादप कह रहा { दोहे }

doha 1

अलियों – कलियों में हुई , कुछ ऐसी तकरार ।
बूँद – बूँद में घुल रही ,मधुरिम प्रेम फुहार ।।
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प्रीत-पपीहा गा रहा , मीठे-मीठे राग ।
सावन के झूले पड़े ,सुलगी विरही आग ।।
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नन्हा पादप कह रहा , सुन रे पेड़ चिनार ।
बरस जाय मेघा अगर , दे दो इक दीनार ।।
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कलुष कलेज़ा चीर कर , जन्मी उजली भोर
चहचहाने पंछी लगे , दिग दिगंत में शोर ।।
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झूम उठी हैं वादियाँ, हँसी बिखेरें खेत ।
मेघ सुधा पीकर धरा, देखो हुई सचेत ।।

…गुन्जन अग्रवाल

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

3 thoughts on “नन्हा पादप कह रहा { दोहे }

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया दोहे !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    गुंजन जी , दोहे बहुत अछे लगे.

  • महातम मिश्र

    क्या बात है सम्माननिया गुंजन जी, आप के दोहों ने बिहारी जी की याद दिला दिये, उत्कृष्ट अदभुत और सम्यक रचना के लिए हार्दिक बधाई, उम्मीद है कि आप की लेखनी अपनी प्रखरता बरसती रहेगी और दिग दिगंत में भोर और शोर करती रहेगी, सादर धन्यवाद…..

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