कहानी

एक थप्पड़

कालज की पढ़ाई ,जवानी की उम्र और माँ बाप के पैसे, रमेश को एक नई हसीन दुनीआं में रखते। सभी दोस्त जब भी बातें करते, उन की बातों का अंत लड़किओं की बातों पर आ कर खत्म होता। कौन सी लड़की सुन्दर है, किस के कपडे अच्छे हैं ,कौन अमीर घर की है ,उन को इस की सारी खबर होती। यों तो रमेश कुछ कवितायेँ भी लिखता था और कालज के फंक्शनों में कविता पड़ता जिन में वोह अपने जज़्बात जाहिर करता और देखता भी रहता कि कोई लड़की भी उस की ओर देखती है या नहीं। उस को एक खुश्फहमी सी थी कि सभी लड़किआं उस को चाहती थीं। जब भी बाहर घूमते लड़किओं को देख कर सीटीआं बजाते और कभी कभी अशुभ भाषा भी बोल देते।
एक दिन सभी दोस्त एक पब्लिक पार्क में घूम रहे थे कि एक खूबसूरत लड़की जातीं हुई दिखाई दी। रमेश ने सीटी बजाई और उस लड़की को कुछ ऐसे शब्द बोले कि वोह लड़की उसी जगह खड़ी हो गई। कुछ मिनट वोह खड़ी रही फिर रमेश की तरफ आई और रमेश के मुंह पर इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि भौंचका सा हो कर रमेश उस लड़की का मुंह देखने लगा। लड़की गुस्से में बोली ,” तेरी कोई माँ बहन नहीं घर में ?” और वोह लड़की अपनी सखिओं की ओर जाने लगी। रमेश को यह आशा ही नहीं थी कि कभी कोई लड़की उस के साथ ऐसा करेगी। उस के दोस्त भी चुप कर गए थे क्योंकि सभी को एक भय सा हो गिया था कि लोग इकठे ना हो जाएँ।
कुछ देर तक रमेश सोचता रहा और फिर उन लड़किओं की ओर जाने लगा। उस के दोस्त डर गए कि अब कुछ हो जाएगा और वहां से खिसक गए। रमेश उस लड़की को बोला ,” सुनियें !”, “जो मैंने आप के साथ किया ,उस के लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ ,आप ने ठीक कहा ,मेरी तीन बहने हैं , अगर उन को कोई लड़का इस तरह कहता तो वोह भी दुखी होती और उन की बात सुन कर मैं भी पता नहीं किया कर उठता , आप ने मेरी आँखें खोल दी हैं ,मैं आप से मुआफ़ी मांगता हूँ “. और रमेश वापस आ गिया। इस घटना ने रमेश को बहुत बदल दिया । वोह मस्ती की बातें ,वोह चुलबुलापन सब खत्म हो गिया। जब भी घर आता ,बैहनों को देख कर कुछ ऐसा महसूस करता जो उस की समझ में ना आता।
धीरे धीरे कालज की पढ़ाई खत्म हो गई और रमेश काम की तलाश में जगह जगह एप्लाई करने लगा। यह भी अच्छा ही हुआ कि बहुत अच्छी नौकरी उसे शीघ्र ही मिल गई। अपने काम में रमेश मसरूफ हो गिया लेकिन वोह थप्पड़ उस का पीछा ना छोड़ता। अब माता पिता रमेश को शादी के लिए जोर देने लगे लेकिन वोह इंकार कर देता। एक दो लड़किआं देखीं भी लेकिन रमेश बातें करके जवाब दे देता। बैहने भी जोर ला थकीं लेकिन रमेश टस से मस ना हुआ । कुछ महीने ऐसे ही गुज़र गए, माता पिता ने एक और लड़की को देखने के लिए रमेश को कहा और उस की फोटो भी देखने को बोला तो रमेश कुछ गुस्से में बोला ,” पिता जी कब जाना है ? “. सभी खुश हो गए लेकिन रमेश के दिल को किसी ने नहीं जाना।
होटल के एक कमरे में लड़की वालों ने मुलाक़ात का प्रबंध कर रखा था। चाय का सामान बड़े टेबल पर सजा हुआ था। जैसे ही रमेश और उस के माता पिता कमरे में दाखल हुए ,रमेश चौंक उठा क्योंकि सामने कुर्सी पर वोही लड़की बैठी थी जिस ने एक दिन उसे थप्पड़ रसीद किया था। एक दूसरे से बातें होने लगीं , प्लेटों में मठाई डाली जाने लगी और सभी खाने और पीने लगे। कुछ देर बाद रमेश और लड़की जिस का नाम मीना था को एक दूसरे के साथ बातें करने के लिए छोड़ कर सभी दूसरे कमरे में चले गए। रमेश और मीना अकेले रह गए। बहुत देर तक कोई ना बोला। एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी रमेश को। किया बोले वोह उस को समझ नहीं आ रहा था।
मीना ने ही शुरू किया ,” रमेश जी ! मुझे मालुम है आप किया सोच रहे हो। माना आप ने मुझे कुछ कहा था लेकिन मैंने भी आप के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया था लेकिन मेरे बुरे व्यवहार के बाद आप ने जो शब्द मुझ को बोले थे उस ने मेरे गुस्से और अहंकार को हरा दिया था। मुझे जल्दी ही महसूस हो गिया था कि जो आप बाहर से दिखते थे वोह भीतर से नहीं थे। उस दिन से मैं अपने आप को कोस रही थी कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। आज तक मैंने किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं किया था ,फिर उस दिन मुझे किया हो गिया था ,मेरी समझ में नहीं आ रहा था। जब मुझे आप की फोटो दिखाई गई थी तो मुझे मालूम था कि हमारा रिश्ता तो हो नहीं सकेगा लेकिन आप से मुआफ़ी मांगने का अवसर तो मिल ही जाएगा ,इसी लिए मैं ने आप से मिलना सवीकार कर लिया था “. मीना चुप हो गई और मेज़ पर पड़ी प्लेटों की ओर देखने लगी। रमेश भी कुछ देर चुप रहा ,और फिर अचानक बोला ,” मीना जी ! मुझ से शादी करोगी ?”. मीना ने रमेश के दोनों हाथों को पकड़ कर अपने माथे पर रख लिया।
कुछ देर बाद वधाई हो !वधाई हो ! की आवाज़ें आ रही थीं और सभी ख़ुशी से हंस रहे थे।

— गुरमेल सिंह भमरा

3 thoughts on “एक थप्पड़

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    एक दिन सभी दोस्त एक पब्लिक पार्क में घूम रहे थे कि एक खूबसूरत लड़की जातीं हुई दिखाई दी। रमेश ने सीटी बजाई और उस लड़की को कुछ ऐसे शब्द बोले कि वोह लड़की उसी जगह खड़ी हो गई। कुछ मिनट वोह खड़ी रही फिर रमेश की तरफ आई और रमेश के मुंह पर इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि भौंचका सा हो कर रमेश उस लड़की का मुंह देखने लगा। लड़की गुस्से में बोली ,” तेरी कोई माँ बहन नहीं घर में ?” और वोह लड़की अपनी सखिओं की ओर जाने लगी। रमेश को यह आशा ही नहीं थी कि कभी कोई लड़की उस के साथ ऐसा करेगी। उस के दोस्त भी चुप कर गए थे क्योंकि सभी को एक भय सा हो गिया था कि लोग इकठे ना हो जाएँ।=============वाह एक-एक शब्द लाजवाब

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूबसूरत कहानी !

    • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

      धन्यवाद विजय भाई .

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