कविता

अनमोल यादें

सांझ की सरगोशी में लिपटे हुए
ये अनमोल यादें ,,,,,,
आज भी सुरक्षित हैं किसी बेशकीमती
नगीने की तरह ………..
अक्सर जब बारिश की बूंदों संग लहराती है
मदमस्त पवन
दिल के हर कोने में बज उठते हैं असंख्य
मधुर झंकार ………..
जब कभी देखती हूँ ,स्वर्ग से उतरती हुई भोर
संग अनगिनत किरणें ,,,
बिखर जाती है अनंत एहसासों संग ख़्वाहिशों
की रंगिनियाँ………..
जीवन के हर उतार-चढ़ाव में सुखद उम्मीदों
से भरी ये तुम्हारी शोखियाँ ,,,,
आज भी बुलाते हैं मुझे ,,,,,,,पास पास और
बहुत पास ………

संगीता सिंह ‘भावना

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित