कविता

जिन्दगी ना जाने तु किस गति से चलती है

रोज सपनो मे पलती है
रोज हाथों से फिसलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है

कभी भरती है
झोलियां खुशियों से
कभी दगाबाज सी
छलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है……

बिठाती है
कभी अर्श पर
कभी
जमीं भी फिसलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है…..

कभी खिलाती है
फूल गुलशन मे
कभी
कलियों को मसलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है…..

कभी सब से
गले मिलाती है
कभी
खुद भी बचकर निकलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है…..

कभी दीवाली सी
जगमगाती है
कभी
ज्वामुखी सी जलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है…..

पुतले बना के छोडे है
इन्सान जिनको कहते है
डोरी को हाथ मे लिये
किरदार तू बदलती है
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है….
जिन्दगी ना जाने तु
किस गति से चलती है…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “जिन्दगी ना जाने तु किस गति से चलती है

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बस यही जिंदगी है ,जो आप ने बिआं की है ,कविता अच्छी लगी .

    • सतीश बंसल

      आपका बहुत बहुत आभार भमरा साहब..

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