कविता

दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है…..

तेज सूरज का मुझको मिले ना मिले, दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है।
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है॥

बन ना पाऊं अगर चाँद तो गम नही, टिमटिमाता हुआ इक सितारा सही।
दौलतों की चकाचौंध हो कि ना हो, आप चाहत लुटाते रहें काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है…….

हार फूलों के मुझको मिले ना मिले, दोस्तों से यूं ही प्यार मिलता रहे।
मुझको महलों की ख्वाहिश नही दोस्तों, चाहतों का ये संसार खिलता रहे॥
चर्चे मेरी ईनायत के हो कि ना हो, लोग बस मुझको सच्चा कहें काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है……..

मेरा मान और सम्मान हो कि ना हो, बस मेरे गीत कुछ मान पाने लगें।
स्वागतों से भरी शाम हो कि ना हो, मेरे नगमे लबों पर तो आने लगें॥
मुझको कवियों का दर्जा मिले ना मिले, मेरी कविता को अच्छा कहे काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है…….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है…..

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर !

  • वैभव दुबे "विशेष"

    तेज सूरज का मुझको मिले ना मिले, दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है।
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सतीश जी

  • महातम मिश्र

    सुन्दर रचना आदरणीय

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