गीतिका/ग़ज़ल

रक्षाबंधन

दोहा:
आया है त्योहार यह ख़ुशियाँ लिये अपार
राखी बांधे बहन जब ‘भान’ करें सत्कार

० नज़्म ०
पावन रक्षाबंधन आया देखो प्रेम-सगाई को
भाई और बहन के अद्भुत रिश्तों की गहराई को

स्नेह-सिक्त धागे में गूँथे दिल की सभी दुआओं को
तिलक लगाकर बाँधे बहना राखी अपने भाई को

नज़र तुम्हें ना लगे किसी की तुझे हमारी उमर लगे

भैया जब मैं याद आऊँ, लख लेना इसी कलाई को

नहीं चाहिए ‘वीर’ मुझे, सोना-चाँदी-हीरे-मोती
बस अच्छे से रखना भैया, मेरे बाबा-माई को

‘भान’ प्यार का बन्धन बनकर आया ये रक्षाबंधन

कभी अलग ना होने देगा, यह दिन बहना-भाई को

— उदय भान पाण्डेय ‘भान’
रक्षाबंधन, दिनांक: २९ अगस्त, २०१५

उदय भान पाण्डेय

मुख्य अभियंता (से.नि.) उप्र पावर का० मूल निवासी: जनपद-आज़मगढ़ ,उ०प्र० संप्रति: विरामखण्ड, गोमतीनगर में प्रवास शिक्षा: बी.एस.सी.(इंजि.),१९७०, बीएचयू अभिरुचि:संगीत, गीत-ग़ज़ल लेखन, अनेक साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

2 thoughts on “रक्षाबंधन

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बहुत बढ़िया

  • विजय कुमार सिंघल

    अति सुंदर !

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