अन्यसामाजिक

हम सदाबहार हैं-1

11 अनमोल वचन

1.हमें यह नहीं देखना चाहिए,
कि कौन हमारे आगे है और कौन हमारे पीछे,
हमें यह देखना चाहिए,
कि कौन हमारे साथ है और हम किसके साथ हैं.

2.सुदामा ने श्री कृष्ण जी से पूछा- दोस्ती का क्या मतलब है?
श्री कृष्ण जी- जहां मतलब है, वहां दोस्ती कहां?

3.रिश्ते बनाना, कोई बड़ी बात नहीं है,
बड़ी बात है, रिश्तों से जुड़ना और जुड़े रहना.

4.वे ही विजयी हो सकते हैं,
जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे.

5.अगर आप सच बोलते हैं,
तो आप को ज्यादा कुछ याद रखने की ज़रूरत नहीं.

6.घायल नहीं था मैं किसी तीर-ओ-कमान से !
वो शब्द बेरहम था जो निकला जुबान से !

7.समय का सदुपयोग करने की कला जिसे आ गई,
उसने सफलता का रहस्य समझ लिया.

8.वे ही विजयी हो सकते हैं,
जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे.

9.साहस ही सब कुछ है,
साहस और जज़्बे की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती.

10.जब हम कठिन कार्यों को चुनौती के रुप में स्वीकार करते हैं
और उन्हें खुशी और उत्साह से निष्पादित करते हैं,
तो चमत्कार हो सकते हैं.

11.विश्वास वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में भी,
प्रकाश किया जा सकता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “हम सदाबहार हैं-1

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी बातें, बहिन जी !

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी, सच है, कड़वे वचनों के घाव नहीं भरते, तीर-तलवार के घाव भले ही भर जाएं.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन, सभी अनमोल बचन एक से एक बढ़ कर हैं लेकिन इस अनमोल बचन का हमें तजुर्बा है कि किसी के बुरे बोलों ने ४५ साल की दोस्ती को तहस नहस कर दिया ,,,,,,,,,,,,,

    6.घायल नहीं था मैं किसी तीर-ओ-कमान से !

    वो शब्द बेरहम था जो निकला जुबान से !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन, सभी अनमोल बचन एक से एक बढ़ कर हैं लेकिन इस अनमोल बचन का हमें तजुर्बा है कि किसी के बुरे बोलों ने ४५ साल की दोस्ती को तहस नहस कर दिया ,,,,,,,,,,,,,

    6.घायल नहीं था मैं किसी तीर-ओ-कमान से !

    वो शब्द बेरहम था जो निकला जुबान से !

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