धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

खुशियों के मंत्र

हम सब सुखी रहना चाहते हैं, कोई दुःखी नहीं रहना चाहता. अगर प्रश्न पूछा जाए, कि ”दुनिया में ऐसा कौन है, जिसे खुशियों के मंत्र की आवश्यकता नहीं है?”, तो निश्चय ही उत्तर होगा ”कोई नहीं.” अब आप पूछेंगे, कि क्या ”खुशियों का भी कोई मंत्र होता है?” हमारा जवाब होगा, ”जी हां, खुशियों का भी मंत्र होता है, अवश्य होता है.” अब आप जानना चाहेंगे, ”खुशियों का मंत्र कहां है?” उत्तर होगा, ”हमारे अंदर ही है.” अब देखिए हम कहते हैं, नीचे लिखी पंक्ति को धीरे-धीरे पढ़िए-

GODISNOWHERE

कुछ लोग पढ़ेंगे-

GOD IS NO WHERE

कुछ लोग पढ़ेंगे-

GOD IS NOW HERE

अब देखा न! एक ही पंक्ति को पढ़ने के दो तरीके हुए. पहली तरह से पढ़ने के तरीके वाले लोग ”नकारात्मक” नज़रिए वाले होंगे और दूसरी तरह से पढ़ने के तरीके वाले लोग ”सकारात्मक” नज़रिए वाले होंगे, ठीक उसी तरह जैसे कि एक गिलास में थोड़े पानी को कुछ लोग आधा खाली (नकारात्मक) और कुछ आधा भरा (सकारात्मक) कहेंगे. अब हम आपको खुशियों के मंत्र के बारे में कुछ और बताते हैं.

हमारे सम्मुख प्रश्न आए, कि दुनिया का सबसे खुश शख्स कौन है? तो आपके सामने नाम आएगा 69 साल के मैथ्यू रिकर्ड का. रिकर्ड तिब्बत में रहने वाले एक बौद्ध संत हैं, जो मूल रूप से फ्रांस के निवासी हैं. इस संबंध में रिकर्ड का मानना है कि वह भी आम लोगों की तरह ही हैं, बस वह महसूस करते हैं कि वह दुनिया के सबसे खुश इंसान हैं. रिकर्ड के मुताबिक खुश रहना एक स्किल है, जिसे आप मेडिटेशन की ट्रेनिंग के जरिए हासिल कर सकते हैं.

आइने में देखकर खुद को ”I love you” कहना, यह भी रोजाना 20 मिनट कहीए.

कबूतरों के अनुसार खुशियों का मंत्र
हम मन्दिर में हिन्दू और मस्जिद में रहे, परन्तु कबूतर ही रहे और अब भी कबूतर ही हैं, क्योंकि हम परमात्मा की व्यवस्था में रहते हैं और मनुष्य मत व मजहब आदि की व्यवस्था में.

रोज़ रात को एक नया अनमोल वचन पढ़िए और उसको मनन करते-करते सो जाइए, नींद अच्छी आएगी. सुबह फिर उसी अनमोल वचन को याद करिए या पढ़िए और काम में लग जाइए.

उत्तम सकारात्मक साहित्य पढ़िए, लिखिए और उसका प्रचार कीजिए.

आइने में देखते हुए खुद को आइ लव यू कहिए. इस तरह करते-करते आपको अपने से प्यार होना शुरु हो जाएगा. आप अपने से प्यार करेंगे, तो बाकी सब भी आपको चाहने लगेंगे.

अपने आपको किसी से कमतर मत समझिए. आप के अंदर अनंत शक्तियों का भंडार है, अपनी शक्तियों को पहचानिए.

हम स्कूल में बच्चों को योग-शिक्षा में कहलवाते थे-
”मैं सुंदर हो रही हूं.”
”मैं बलवान हो रही हूं.”
”मैं बुद्धिवान हो रही हूं.”
”मैं समर्थ्यवान हो रही हूं.”
रोज़ ऐसा कहते-कहते छात्राओं मे आत्मविश्वास पैदा होने लग गया.

हम साहसी हैं, यह तो जज़्बे और साहस के ब्लॉग पढ़ते-पढ़ते आपको भी लगने लग गया होगा.

सुख ही नहीं ठहरता, तो दुःख भी रुकने वाला नहीं है. इसलिए सुख-दुःख को समान समझिए. सुख में फूलिए नहीं, दुःख में घबराइए नहीं.

हमारा वर्तमान हमारे अतीत की देन है और हमारा भविष्य हमारे अतीत और वर्तमान के कर्मों का परिणाम होगा, इसलिए हम अपने कर्म शुद्ध रखें.

हम गर्म पानी का नल खोलते हैं, तो उसमें पहले थोड़ी देर ठंडा पानी आता है फिर गर्म पानी, अगर हमसे तुरंत पहले किसी ने गर्म पानी का नल खोला है तो गर्म पानी तुरंत आ जाता है, इसी तरह खुशियां कभी जल्दी आती हैं, कभी थोड़ा रुककर अनुकूल समय की तस्सली से प्रतीक्षा कीजिए.

अच्छा काम कीजिए, अच्छा कहलाने की इच्छा मत कीजिए,
सबकी सहायता कीजिए, अहसान मत जताइए.

कई साल पहले महाभारत सीरियल में भीष्म पितामह ने कहा था, ”कोई अच्छी या साहस की बात बताए, तो किंतु-परंतु मत कीजिए. किंतु-परंतु खुशियों की बेड़ियां हैं, इनसे आज़ादी पाइए, खुशियां खुद-ब-खुद आपके कदमों में होंगी.

मेरे सामने 9 फुट ऊंचाई पर एक सफेद फूल खिला हुआ है, उसको कली से फूल बनने में 6 सप्ताह लग गए, अब फूल बनकर भी पतली-सी डाली पर टिका हुआ है और निरंतर विकास कर रहा है. उससे हम धैर्य रखना सीख सकते हैं. मैंने कोशिश की है और कामयाबी भी हासिल हुई है.

आत्मविश्वास रखिए और निरंतर बढ़ाइए. आत्मविश्वास से ही परमशक्ति पर और दूसरों पर विश्वास रखना आएगा. जिसे खुद पर विश्वास नहीं होगा, वह किसी पर भी विश्वास नहीं कर सकता.

बीते कल की गलती या ठोकर से सबक सीखिए, उसका गम मत कीजिए, क्योंकि ”बीत गई सो बात गई.”

आपसी समझ को समझौता मानकर जीवन व्यतीत करने से जीवन जीना आसान हो जाता है.

हम कांटों से भी प्रेरणा ले सकते हैं. उनको कोई छेड़ता नहीं है, तो वे किसी को हानि नहीं पहुंचाते, छेड़ने पर वे अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हैं. यह वही बात है, कि महात्मा ने सांप को कहा था, ”काटो मत, फुफकारने को थोड़े ही मना किया है.”

बचपन में सुनी कहानियों से भी प्रेरणा मिलती है. बड़े भाई का व्यवहार अच्छा नहीं था, फिर भी उसको सोने के सिक्कों से भरी थैली मिली, छोटे भाई का व्यवहार बहुत अच्छा था, उसको कांटा चुभ गया और खून निकलने लगा. भगवान से पूछने पर भगवान ने बताया- ”तुम्हारे बड़े भाई को बादशाहत मिलनी थी, अपने अभद्र कर्मों के कारण केवल सोने के सिक्कों से भरी थैली से ही उसकी राजाई गई, तुम्हें फांसी मिलनी थी, पर अच्छे कर्मों से केवल कांटा चुभने से ही फांसी से छुटकारा मिल गया.” इसलिए कोई शिकायत न कीजिए, केवल परमात्मा की इनायत को याद कीजिए.

अंत में हम कहना चाहेंगे, कि हम अभिमानी नहीं स्वाभिमानी बनें, स्वार्थी न बनें पर खुद से प्यार अवश्य करें.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

6 thoughts on “खुशियों के मंत्र

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बात बहिन जी. सकारात्मक रवैया हमें अपने जीवन के हर क्षण सफलता दिलाता है. नकारात्मक रवैया असफलता का मूल कारण है. इसीलिए सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सकारात्मक रवैये पर बहुत जोर दिया जाता है.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बात बहिन जी. सकारात्मक रवैया हमें अपने जीवन के हर क्षण सफलता दिलाता है. नकारात्मक रवैया असफलता का मूल कारण है. इसीलिए सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सकारात्मक रवैये पर बहुत जोर दिया जाता है.

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. आपको सपरिवार होली की अनेकानेक बधाइयां व शुभकामनाएं.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन, आप के विचार तो हमेशा से ही अछे और सकार्त्मिक रहे हैं , तुष सा भी दिमाग में बैठ जाए तो बहुत कुछ हासल कर सकूँगा .

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन, आप के विचार तो हमेशा से ही अछे और सकार्त्मिक रहे हैं , तुष सा भी दिमाग में बैठ जाए तो बहुत कुछ हासल कर सकूँगा . लेख बहुत ही अच्छा है .

  • मनमोहन कुमार आर्य

    नमस्ते आदरणीय बहिन जी। विचार बहुत अच्छे लगे। यह बार बार पढ़ने योग्य है। आपकी सकारात्मक सोच प्रशंसनीय एवं प्रेरणादायक है। इसे मैंने सुरक्षित कर लिया है. जब भी मन में विषाद होगा इसे पढ़ा करूँगा। कबूतर और भूत-वर्तमान-भविष्य-कर्म का सिद्धांत भी पढ़कर प्रसन्नता हुई। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।

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