शिशुगीत

शिशुगीत – १५

१. हिन्दी नववर्ष

हैप्पी न्यू ईयर मत बोल
शुभ नवसंवत्सर आया है
चलकर स्वागत के पट खोल
हमसब की अपनी पहचान
भारतमाता का गुणगान
चैत्र महीना आया है
नयी उमंगे लाया है

 

२. गुड्डा

मेरा गुड्डा प्यारा-प्यारा
देखो बैठा बाल सँवार
दिनभर मेरे संग खेलता
गुड़िया का ये राजकुमार

 

३. बिन्दी

मम्मी रोज लगाती है
मुझको भी ये भाती है
रंग-बिरंगी, चटक-मटक
रोज देखती थी टक-टक
गुल्लक में थी रखी कमाई
मैं भी बिन्दी ले ही आई

 

४. हॉरर फिल्में

हॉरर फिल्में मत देखो
तुमको भूत डराएँगे
नहीं रूम से निकल सकोगे
सपने में भी आएँगे
ज्ञान बढ़े, वह देखो तुम
अंट-शंट में मत हो गुम

 

५. कविता लेखन

चलों लिखें हम भी कविता
बालकवि कहलाएँ जी
अपने मन की सारी बातें
दुनिया तक पहुँचाएँ जी
कितने अच्छे दिखते हैं
वे जो कविता लिखते हैं

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन