कविता

बेटी की नज़र से… …………

यह अश्क भी क्या खूब, हम बेटियों से खेलते हैं
इक ही पल मे यह क्यों, गम और खुशी के बहते हैं

खुदा ने कैसी घड़ी, हम सब के लिए बनाई है
है जनक से जुदाई, यह पिया मिलन की आई है

अंगना मे चहकना, और वो बगिया मे महकना
न भूलूँगी कभी भी, हर छोटी बात पर बहकना

वो सावन के झूले, लहराता बारिश का पानी
दिल मे सजा रखूँगी, बचपन की हर नई निशानी

पलने मे थी लोरी, मैं पिता की बाहों मे पली
यादें सब समेट कर, सजन द्वार पालकी मे चली

मैं अपने ख्यालों मे, सुनहरी किताब सजाऊँगी
कहानी हर पुरानी, पर मन मे उसे बसाऊँगी

कीर्ति पाहुजा

कीर्ति पाहुजा

Kirti Pahuja C/o Satish Pahuja Kotwali Square Sehore ( M. P. )

One thought on “बेटी की नज़र से… …………

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    अति सुंदर

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