मुक्तक/दोहा

दो टूक

कब तक जायेगी कहो, सीमा पर अब जान |
शेरो कुछ ऐसा करो, रहे न पाकिस्तान ||

कुत्तों की हरकत हुई, अब तो हद के पार |
दिखलाओ औकात तुम, इनको मेरे यार ||

केसरिया बाना पहन, उठा वीर तलवार |
सीना चीरो पाक का, करो वार पे वार ||

बहुत गा लिया प्रीत का, सबने मीठा गीत |
गीदड़ कभी न बन सका, शेरो का मनमीत ||

पाक नाम अपना लिया, पर हरकत नापाक |
वीर धरा के लाल अब, कर दो इसको ख़ाक ||

आतंकी पर्याय जो, वो है पाकिस्तान |
खत्म करो इस देश को, यही आज का ज्ञान ||

नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”

नवीन श्रोत्रिय 'उत्कर्ष'

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