बाल कहानी

संकल्प की आभा का प्रताप

असम के एक छोटे-से गांव में उस छोटे-से बच्चे का निवास था. गांव भले ही छोटा हो पर, जिसको कुछ महान काम करना होता है उसके लिए जगह के छोटे-बड़े होने के कोई खास मायने नहीं होते. उसने अभी-अभी अपना जन्मदिन मनाया है और केक पर 16 मोमबत्तियां जलाकर अपने पंद्रह वर्ष पूरे करके सोलहवें साल में कदम रखा है. जन्मदिन के दो दिन पहले ह्री रक्षा बंधन का पावन त्योहार आया था. भाई तो उसके तीन थे पर, बहिन या बुआ नहीं थी इसलिए, रक्षा बंधन के दिन बाकी मित्रों के हाथों में प्यारी-प्यारी राखियां बंधी देखकर वह बड़ा मायूस रहता था. पर, दो दिन बाद ही जन्मदिन आने पर उसकी मायूसी के बादल छंट गए. जन्मदिन के पावन अवसर पर उपहार स्वरूप उसे एक प्यारा-सा रोबोट मिला था, जिसकी उसके मन में बड़ी चाहत थी. अब वह सारा दिन रोबोट से खेलता रहता था. उसने दो बातें नोट कीं कि, एक तो रोबोट बिना खाए दिन-रात काम कर सकता था, दूसरे हर समय चुप ही रहता था फिर भी बड़ा खुश रहता था. उसे लगा कि, मुझे भी ऐसा करके देखना चाहिए. जल्दी ही उसे अवसर भी मिल गया.

इधर देश में अन्ना हजारे के अनशन की आंधी चल रही थी जिसमें, छोटे से लेकर बड़े तक सब अपनी-अपनी तरह से सहयोग दे रहे थे उधर असम अपनी बाढ़ की समस्या से जूझ रहा था. वहां के लोग जी-जान लगाकर उससे निपटने में लगे हुए थे लेकिन, रुपए-पैसे की तंगी तो होनी ही थी. उस छोटे-से बच्चे के मस्तिष्क में एक अनोखा उपाय कौंध गया. उसने अपने सारे दोस्तों, सहपाठियों, रिश्तेदारों व घर वालों से कहा कि जब सब लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करेंगे वह चौबीस घंटे न कुछ खाएगा-पिएगा और न ही बोलेगा, इस बीच जो भी मुझे बाढ़ के लिए डोनेशन देना चाहे, दे सकता है. इन चौबीस घंटों में उसके पास इतना धन डोनेशन में आ गया जिसकी, उसने कल्पना भी नहीं की थी. सबने अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार डोनेशन देने में सहयोग किया. इतनी बड़ी घटना की भनक मीडिया के कानों में पड़नी ही थी, वे भी नमूदार हो गए और बाढ़ कमेटी के अध्यक्ष को तो उस बच्चे ने चौबीस घंटे खत्म होने पर बुलाया ही था. उन्होंने ही उसे संतरे का जूस पिलाकर उसका अनशन खत्म करवाया और उससे अपार धनराशि लेकर उसे रसीद दे दी. उस बच्चे से पूछा गया कि, क्या उसे इस बीच कोई दिक्कत तो नहीं आई तो, उसने बताया कि दिक्कत तो कोई नहीं हुई. न भूख-प्यास लगी न बोलने की कमी महसूस हुई. शायद यह मन की ताकत का ही प्रभाव था या फिर अच्छे संकल्प की आभा का प्रताप. अगले दिन विद्यालय में भी उसे पुरस्कृत किया गया.उससे प्रेरणा लेकर और भी कई छोटे-बड़े लोगों ने भी ऐसी मुहिम चलाकर धन एकत्रित किया और तन-मन-धन से बाढ़ की समस्या से जूझने में अपना पूरा-पूरा सहयोग दिया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244