गीत/नवगीत

दिवाली

जगमग करते रंगबिरंगे
दीपों से खुशहाली है
ख़ुशी मनाओ जी भर कर के
आई आज दिवाली है । ।

रंग बिरंगे सजे हैं तोरण
सजी कहीं रंगोली है
कभी धमाके एटम बम के
चले कभी भी गोली है
तरह तरह पकवानों संग
सजती पूजा की थाली है
ख़ुशी मनाओ जी भर कर के
आई आज दिवाली है ।।

दिप जले हैं बिजली के
पर ज्ञान के दिप जलाओ तुम
शिक्षा के प्रकाश से यारों
तम अज्ञान भगाओ तुम
धनकुबेर हैं कहीं कहीं पर
फटी जेब भी ख़ाली है
ख़ुशी मनाओ जी भर कर के
आई आज दिवाली है ।।

कहीं रात में चमके सूरज
कहीं रात हर काली है
उंच नीच की खाई भर दो
फिर हर रात दिवाली है
नतमस्तक हैं माँ के आगे
हर एक शख्स सवाली है
ख़ुशी मनाओ जी भर कर के
आई आज दिवाली है ।।

सभी देशवासियों को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।