गीतिका/ग़ज़ल

मेरी दूसरी गज़ल

दे दर्द अभी ज़्यादा कि और तड़प का हौसला बाक़ी है

दे दर्द अभी ज़्यादा कि और तड़प का हौसला बाक़ी है

जिगर तो हिला भर है, अभी तो तहय्या-ए-ज़लज़ला[i] बाक़ी है

दर्द ही सही, लिया है तुमसे कि अभी तक दिया कुछ नहीं

कि अभी तो अपने लेन-देन का पूरा सिलसिला बाक़ी है

कहते हैं उसकी बेवफ़ाई के आगे क्या देखना बाक़ी है

सरे-ए-बज़्म[ii] ये कहती हूँ कि वफा के उसका काबा-कर्बला[iii] बाक़ी है

अभी तो चुप हूँ, तेरा नाम तक न लिया है मैंने

कि महफिल में गोया तेरे ही नाम का वलवला[iv] बाक़ी है

तुम आए तो नज़र सजी, न उजाड़ो दिल

न जाओ अभी कि सजना अभी दिल-ए-मोहल्ला बाक़ी है

मेरे दिल की ख़ानाबरबादी[v] के ख़ानासोज़[vi] सुन

कि अभी तो गोया तेरे दिल में आने का सला[vii] बाक़ी है

बेवफ़ा ही सही, मेरा ख़ुदा बना बैठा है तू

कि ख़ुदा से मेरी भी बेवफाई, लाहौल विला[viii], बाक़ी है

बहुत मुझे ख़ैरख़्वाह[ix] मिलाकरे गोया

मगर क्या हुआ कि अब तक ख़ैरसल्ला[x] बाक़ी है

न मिला तू, मेरा न भला हुआ

तुझे मिले कोई कि तेरा भला बाक़ी है

तुझे भी तो पता चले कि रेणुका क्या है

कि राख़-ए-जिस्म में भी दीदार को चश्म-ए-शहला[xi] बाक़ी है।

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[i] Determination for earthquake

[ii] At the party, in the gathering

[iii] Holiest places of islam

[iv] Commotion

[v] Ruination of home

[vi] Who ruins the home

[vii] Invitation

[viii] Dammit

[ix] Well wisher

[x] welfare

[xi] having a tinge of blue or gray, or of red, or green in eye, in the black (of the eye); having dark-gray eyes with a shade of red.

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल n30061984@gmail.com