बाल कविता

39.सबसे प्यारी मां

(बाल काव्य सुमन संग्रह से)

 
माता मेरी सबसे प्यारी,
सारे जग से है वह न्यारी,
दुनिया में प्यारी मां जैसा,
कोई नहीं होता उपकारी.

 

कई देवता मना-मनाकर,
मां बालक को पाती है,
आंख की पुतली से भी ज़्यादा,
उस पर प्यार लुटाती है.
खुद खाए या नहीं, कभी भी,
उसे न भूखा रखती है,
उसको अमृत दे पाने की,
हरदम इच्छा रखती है.

 
बच्चे की छोटी-सी इच्छा,
बड़ा समझ पूरा करती,
अपनी पर्वत-सी इच्छा को,
उस पर न्योछावर करती.

 

मां की सेवा से हम अपने,
मन को तृप्त बनाएंगे,
माता की पावन धूलि से,
भू पर स्वर्ग सजाएंगे.

 

यही संदेश है ‘मातृ-दिवस’ का,
मां को भूल नहीं जाना,
मां की आशीष की छाया में,
पल-पल निर्भय बढ़ते जाना.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244