गीत/नवगीत

गीत –मॉँ

सूरज है तू, और चांदनी, नीलगगन की रानी !
हे मॉँ सबसे अलग, निराली, तेरी नेह कहानी !!

पर्वत-सी ऊंचाई तुझमें, सागर-सी गहराई
दरिया-सी कल-कल है तुझमें, विधना-सी प्रभुताई
ममता तेरी अनुपम है माँ, तेरी हो नित पूजा
इस धरती पर तेरे जैसा, कोय नहीं है दूजा

वेदपाठ-सी है पावन तू, महिमा सबने मानी !
हे मॉँ सबसे अलग, निराली तेरी नेह कहानी !!

कौशल्या में तेरी माया, रूप है तेरा प्यारा
बनकर मैया कृष्ण की तूने, लाड़ को दी है धारा
पुतलीबाई बन गांधी को, सत्य की राह दिखाई
माँ सचमुच तेरी ही ख़ातिर मानवता हरसाई

गीता का तू कर्मयोग है, मानस करे बखानी !
हे माँ सबसे अलग, निराली, तेरी नेह कहानी !!

है कुम्हार तू, प्रतिमा गढ़ती, मनमोहक औ’ सुंदर
रूप तेरा लेकर के ईश्वर, रहता देखा हर घर
आंचल तेरा पावन-नेहिल मंदिर और गुरुव्दारा
संतति का तब बनता जीवन, मिलता तेरा सहारा

तू सांसें है, तू अमृत है, कहता यह हर ज्ञानी !
हे माँ सबसे अलग, निराली, तेरी नेह कहानी !!

प्रो. शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल-khare.sharadnarayan@gmail.com