कहानी

पछतावे के आँसू

बड़ा बेटा अजय और छोटी बेटी रमा . एक बेटा और एक बेटी पाकर शर्मा परिवार बहुत खुश था. बच्चों की परवरिश और शिक्षा में उन्होंने कोई कमी नहीं रखी थी. बच्चे भी माता-पिता का बहुत सम्मान करते थे.दसवीं की कक्षा में अजय प्रथम स्थान से उत्तीर्ण हुआ पुरे घर में ख़ुशी का माहौल छा गया.  अजय को एक प्रतिष्ठित कॉलेज में दाखिला मिल गया. वह और भी उत्साह के साथ खूब मन लगाकर पढ़ाई करने लगा था.

परंतु कॉलेज के परिवेश में उसके कुछ नए दोस्त बने. कुछ अच्छे कुछ गलत भी.संगति का असर बढ़ता जा रहा था. अब वो दोस्त के घर पढ़ाई करने का बहाना बनाकर देर रात तक घर से बाहर रहने लगा था. माता-पिता के बहुत समझाने पर वह बात नहीं मानता किसी न किसी बहाने से बात को टाल जाया करता था. सड़को पर अपने दोस्तों के साथ घूमता. हद तो तब हो गई जब वह शराब भी पिने लगा था इतना ही नहीं आती जाती लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने लगा था. शराब के नशे में धूत सड़क के किनारे बेसुध पड़ा रहता था.

एक दिन रमा और उसके पड़ोस की सहेली विद्या अपने सहेली के घर जन्मदिन के जश्न में गई थी. रात को आते वक्त थोड़ी देर हो गई थी. करीब ९ बज रहे थे. दोनों बस अड्डे पर काफी देर से बस का इंतजार कर रही थी पर बस नहीं आई. उन दोनों ने आगे जाकर चौराहे से रिक्शा लेने की सोची पर बिच का रास्ता थोड़ा सुनसान था.दोनों सहेलियाँ जल्दी जल्दी चौराहे की तरफ जाने लगीं. आगे कुछ दूर पर अजय और उसके दोस्त शराब के नशे में एकदम धूत थे. अजय ने उसदिन बहुत शराब पी रखी थी. और सड़क के किनारे एकदम बेसुध सा सोया पड़ा था. अजय के दोस्तों ने रमा और विद्या को देखा और उन्हें तंग करना शुरू किया और अपशब्द कहने लगे.एक ने तो विद्या का हाथ ही पकड़ लिया था.बड़ी ही मुश्किल से वे दोनों वहाँ से भागने में कामयाब हो गई और जैसे-तैसे घर पहुँची. घर जाकर रमा ने माता-पिता को सारी बात बताई वो इतनी डर गई थी की उसे बहुत बुखार चढ़ गया था. वो बेहोश हो गई थी. डॉक्टर को बुलाकर उसका इलाज करवाया गया. थोड़ी देर बाद अजय घर आया ।माता-पिता ने उसे सारी बात बताई.अजय रमा से मिलने उसके कमरे में गया.अपने बहन की ऐसी हालत उससे देखी नहीं गई.आज तक उसने ना जाने कितनी ही लड़कियों को परेशान किया था वो सारी घटनाएँ एक के बाद एक उसे याद आने लगे और सबमें उसे अपनी बहन रमा का चेहरा दिखाई देने लगा और घबराहट में वह जोर से चीख उठा और बहुत रोने लगा।उसकी चीख सुनकर माता-पिता भी कमरे में आएँ ।

रमा को अबतक होश नहीं आया था . अजय ने रमा का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे वादा किया की आजके बाद वह सभी गलत आदतों को छोड़ देगा.अपने दोस्तों को भी सहीं राह दिखायेगा.रमा का हाथ पकड़कर वह वही जमीन पर बैठे -बैठे सो गया.. अपने बेटे की आँखों में पछतावे के ऑंसू देख माता-पिता को तसल्ली हुई की, उनका अजय अब लौट आया है ।

रीना मौर्य "मुस्कान"

शिक्षिका मुंबई महाराष्ट्र ईमेल - mauryareena72@gmail.com ब्लॉग - mauryareena.blogspot.com