कविता

झूठ……

बिगड़ती है बात तो
आज बिगड़ जाने दो….

झूठ के पर्दे से
सच को बाहर आ जाने दो….

कब तक दम घोटेगी भ्रष्टाचार
ईमानदारी के स्वर का

बेईमानों को आज
बेनकाब हो जाने दो…..

सफेदपोशी के वेश में
छुपा बैठा है शैतान भीतर

इन शैतानी भेड़ियों के खाल
आज उतर जाने दो…..

बुन रहे है साजिशों का घना जाल
झूठ की बुनियाद पे

फरेबी की नीव
आज हिल जाने दो…..
बिगड़ती है बात तो
बिगड़ जाने दो
झूठ के पर्दे से
सच को बाहर आ जाने दो….

*बबली सिन्हा

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