कविता

बारिश में भीगे हुए मेरे शहर

ऐ बारिश में भीगें हुए मेरे शहर
तुझे पता भी हैं
आज तू कितना खूबसूरत लग रहा है
तेरी गलियों में बिखरा पानी
जैसे सारा आसमान ही
आज टुकड़ो टुकड़ो में धरती पर
बिखर गया हो
मंदिर की वो पुरानी पताका भी
धुलकर नई सी हो गई है
लहरा रही है नवजीवन पाकर
जिंदगी की भाग दौड़ में
खो गये हर शख़्स ने
बारिश की बूंदों को अपनी हथेली पर
सहेज कर अपने बचपन को महसूस किया है
कॉरपोरेट मीटिंग और
बेरंग जिंदगी से निकलकर
व्यस्तता ने
किसी चाय की थड़ी पर
फुर्सत की चुस्की ली हैं
सच में आज तुम खूबसूरत लग रहे हो
उस सजे धजे बच्चे की तरह
जो किसी शादी में जाने को तैयार है।
जिसे कोई फिक्र नही
बस जाना है
खाना और खेलना हैं

नयन डी बादल

नाम - नयन डी बादल (नैनाराम देवासी) पता - मुकाम पोस्ट सांकरणा तहसील -आहोर जिला -जालोर (राज.) मो. 7424927024 ईमेल- ndewasi246@gmail.com