गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

सरे महफिल यूं मुस्कुराना गजब हो गया !

नग्मे गाकर उनको मनाना गजब हो गया !!

खो गई वो बस्तियां खो गये वो काफिले !

मिलकर उनको रिझाना गजब हो गया!!

इश्क तो कीजिये रिहाई नही है मगर !

इबादत करते ही जाना गजब हो गया !!

दे दे वो जो तोहफा तो कर लो कुबूल !  

आरजू अपनी जताना गजब हो गया!!

थी उनको भी उम्मीदे इस नाचीज से !

हमसफर उनको बनाना गजब हो गया !!

जख्म न तीरो ने किया न तलवारो से हुआ!

निगाहो का यूं उलझ जाना गजब हो गया !!

होती जो उनसे ही मेरी यारी मेरे खुदा !

महफिल से रूठकर जाना गजब हो गया !!

साज है आवाज है गीत भी धुन भी वही!  

वही तेरा तराना पुराना गजब हो गया!! 

प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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