गीतिका/ग़ज़ल

लम्बे रदीफ़ की ग़ज़ल (कज़ा मेरी अगर जो हो)

काफ़िया=आ
रदीफ़= *मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर*

खता मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर
सजा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

वतन के वास्ते जीना, वतन के वास्ते मरना
वफ़ा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

नशा ये देश-भक्ति का, रखे चौड़ी सदा छाती
अना मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

रहे चोटी खुली मेरी, वतन में भूख है जब तक
शिखा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

गरीबों के सदा हक़ में, उठा आवाज़ जीता हूँ
सदा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

रखूँ जिंदा शहीदों को, निभा किरदार मैं उनका
अदा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

मेरी मर्जी तो ये केवल, बढ़े ये देश आगे ही
रज़ा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

रहे रोशन सदा सब से, वतन का नाम हे भगवन
दुआ मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

चढ़ातें सीस माटी को, ‘नमन’ वे सब अमर होते
कज़ा मेरी अगर जो हो, तो हो इस देश की खातिर

— बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)