गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

तारीफ़ क्या करूँ तेरी आखों की नूर की
देदिप्त अंग अंग है’ सुरलोक हूर की |
वो नूर और ओज, सभी दिव्य देव के
राजा या’ रंक चाह है’ दैविक जुहूर की |
अभियान-स्वच्छता चली’ हर गाँव शह्र अब
आखें तलाशती सदा’ कूड़े की’ घूर की |
जो भी हुआ यहाँ सभी’ अल्लाह ही मेहरबाँ
सज़दा करूँ सदैव दयालू गफूर की |
जानम ज़रा पिलाना’ मुझे अपने’ हाथ से
दस्तूर, मय पियो तो’ शराबे तुहूर की |
गुंडे कसूरवार सभी बच निकलते’ है.
सुनते कहाँ यहाँ कोई अब बेकसूर की |
शिशु कृष्ण के चिकूर मनोहर हसींन हैं
गोकुल, गोपियाँ हैं’ दिवानी चिकूर की |
ये वक्त की नज़ाकतें, रकीबों से दोस्ती
‘काली’! दुआ क़ुबूल, इनायत हुज़ूर की |

जुहूर = तेज; शराबे तुहूर=स्वर्ग की मदिरा
कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !