कविता

अहसास तुम्हारा

न जाने क्यों??
आजकल अकेलापन भाने लगा है
शायद !
इसकी वजह हो तुम

वक्त के गुमसुम चेहरे पर
अधखुली मुस्कान की छठा बिखेरती हुई
तुम्हारी यादें…..
और बीते लम्हों के गुदगुदाते एहसास

तन्हाईयों के आवरण में भी….
अंतस में उतर शोर करते है
और ऐसा लगता जैसे थम गया हो पल

तुम्हारे होने की जीवंत कल्पना
और उसमे डूबा मेरा प्रेमसिक्त मन
कसकर सिमटते चले जा रहे एक दूसरे में
एक आंतरिक सुकून दिशा की ओर….

वर्तमान की फैली दूरियों को भुलाकर
तत्क्षण दो दिलों के मिलन का सच
सुख की अनुपम तृप्ति और एक गर्व पूर्णता का….

ऐसा लग रहा जैसे पा लिया हो मैंने
प्रेम का तिलिस्म……

बबली सिन्हा

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- bablisinha911@gmail.com