बाल कविताशिशुगीत

वतन को नमन

तुझको नमन ऐ मेरे वतन,
महिमा तेरी मैं क्या कहूं?
तेरे गुणों का गान मैं,
हरदम यों ही करती रहूं.

 

जन्मी यहीं, पली यहीं,
खाया यहीं, खेली यहीं,
तेरी शरण को छोड़कर,
किसकी शरण मैं जा गहूं?

 

पिता का प्यार मिला यहीं,
मां का दुलार मिला यहीं,
भाई-बंधु-मित्र का,
प्यार यहीं पाती रहूं.

 

मेरा राम तू, रहीम तू,
ईसा मसीह, नानक भी तू,
भारत भू सभी की है,
सबको यही बता सकूं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “वतन को नमन

  • लीला तिवानी

    भारत प्यारा देश हमारा,
    है सारे देशों से न्यारा,
    विंध्य-हिमाचल रक्षा करते,
    सींचे गंगा-यमुना धारा.
    इसकी हर बेटी प्यारी है,
    हर बेटा है इसका दुलारा,
    एक ही माला के हम मोती,
    यह है अपना भाग्य-सितारा.

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