लघुकथा

बेरोजगार

फर्स्ट क्लास ऍम.ए. और बी.एड. करने के बाद भी रवि को कहीं मनचाही नौकरी नही मिल पा रही थी | नौकरी की तलाश में वो जहां-तहाँ भटकता फिरता| वो बढ़ा हताश निराश सा रहने लगा रोज़ की तरह वो आज सुबह भी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रहा था की अचानक उसके दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी उसने दरवाज़ा खोला तो देख सामने एक पन्द्रह सोलह साल का लड़का खड़ा हुआ था| उसके हाथ में कुछ गलीचे थे| वो लड़का रवि से गलीचे खरीदने का आगृह करने लगा| रवि ने एक बार उसे ध्यान से निहारा और फिर उससे कहा इस उम्र में काम कर रहे हो ये तुम्हारी पढने लिखने की उम्र है पढ़ लिख लोगे तो अच्छी नौकरी मिल जायेगी वरना जीवनभर गली-गली घुमते रहोगे… रवि की ये बातें सुनकर वो लड़का थोड़ी देर शांत रहा फिर उसने रवि से पूछा भैया आपने कितनी पढाई की है रवि ने गर्व और अकड़ से कहा में फर्स्ट क्लास ऍम.ए. बी.एड. हूँ| लड़का कुछ रुका और झिझकते हुए बोला और काम क्या करते है अब रवि चुप था और वो बालक गली में गलीचे बेचते हुए जा रहा था |

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'

पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर' लेखक, विचारक, लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तम्भकार सम्पर्क:- 8824851984 सुन्दर नगर, कोटा (राज.)