लघुकथा

बड़ा अफसर

सुनीता ने पहले अपने सामने रखे अदालती कागज़ को देखा, फिर सामने बैठे अपने पति को देखा। सचमुच पहले से रंगत बहुत बदल गई थी। शहर जाकर परीक्षा की सही तरह से तैयारी करने का लिए सुनीता ने अपने गहने देकर भेजा था। अब वह एक आई ए एस अधिकारी था।

उसके पति ने उसे समझाते हुए कहा- “दस्तखत कर दो। घबराओ मत, उसके बाद भी मैं तुम्हारा पूरा खयाल रखूंगा।”
तभी उसका फोन बजा। कॉलर का नाम देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह एक तरफ जाकर बात करने लगा।
“मेरे बिना जी नहीं लग रहा है।…..हाँ जल्दी लौटूँगा। बस मेरा काम हो जाए।”
बात करके जब वह सुनीता के पास आया तो उसने कागज़ उसके हाथ में थमा दिया।
“तो दस्तखत कर दिया….” कहकर उसका पति कागज़ देखने लगा।
“नहीं किया। कम पढ़ी हूँ। पर बेवकूफ नहीं।” सुनीता का चेहरा स्वाभिमान की आभा से जगमगा रहा था।

 

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है